01-27-2016, 11:41 AM
अपने देश में बॉलीवुड की लोकप्रियता का कोई जवाब नहीं है, लेकिन आपको बता दें कि बॉलीवुड का दायरा भी हिन्दी-पट्टी राज्यों तक सीमित है। जैसे साउथ इंडिया को ही ले लीजिए, वहां ‘बॉलीवुड’ का वर्चस्व नगण्य सा है। साउथ की अपनी अलग की इंडस्ट्री है। ‘थलाइवा द ग्रेट’ रजनीकान्त सर का तो आपने नाम सुना ही होगा। जी हां, वही जिनके लिए “नथिंग इज इम्पॉसिबल’ फ्रेज यूज किया जाता है, साउथ फिल्मों की ही धरोहर हैं।
मुम्बईया फिल्मों से ज्यादा कमाई करने वाली इन फिल्मों के दर्शक अपने सुपरस्टार्स को भगवान की तरह पूजते हैं। और तो और साउथ की फिल्मों और हिरोइनों के प्रशंसकों में शरद यादव जैसे उत्तर भारतीय सांसद भी शामिल हैं। इसका इजहार तो वे संसद में भी कर चुके हैं। बजट हो या एक्शन साउथ इंडस्ट्री बॉलीवुड से कहीं कम नहीं पड़ती। आज आपको बताते हैं उन 11 विशेषताओं के बारे में जो दक्षिण भारतीय फिल्मों को ख़ास बनाती हैं।
1. देश भर में बनने वाली कुल फिल्मों में 75% का योगदान रखनें वाली ‘साउथ’ फिल्म इंडस्ट्री के फैन्स अपने स्टार्स को भगवान की तरह पूजते हैं।
इन सितारों की लोकप्रियता का आलम ये है की ‘चुनावों’ में इनके सामने अच्छे-अच्छे पॉलिटिशियंस की व्हाट लग जाती है।
2. साउथ मूवीज अपने ऐसे एक्शन और स्टंट्स के लिए बेहद लोकप्रिय हैं, जो ब्रूस-ली के लिए भी असंभव हुआ करते हैं।
बगैर कुंफो-कराटे और मार्शल आर्ट्स के भारी-भरकम हीरो 20-20 फिट उछल कर फाइट करते देखे जा सकते हैं।
3. अवतार और जुरासिक वर्ल्ड के जमाने में बॉलीवुड फिक्शन और थ्रिलर सिनेमा रचने में फिसड्डी रहा है।
ठीक इसके उलट साउथ इंडस्ट्री दमदार टेक्नोलॉजी के सही इस्तेमाल के साथ ‘बाहुबली’ और ‘आई’ जैसी महान फिक्शीयस फ़िल्में लगातार बनाता रहा है।
4. साउथ की एक्ट्रेस इतनी भारी-भरकम क्यों होती हैं? ये प्रश्न कमोबेश हर किसी के मन में एक न एक बार अवश्य उठता है।
मतलब समझ से परे है की एक ओर जहां बॉलीवुड में लीड एक्ट्रेस से जीरो फिगर की डिमांड है, वहीं साउथ में पतली-दुबली एक्ट्रेस के लिए फिल्मों में आने के लिए वजन बढ़ाना जरूरी है।
5. इमरान खान और वरुण धवन जैसे चॉकलेटी लुक के हीरो आपको साउथ मूवीज में शायद न के बराबर मिलें।
साउथ इंडस्ट्री में ज्यादातर हीरो टू मच तंदुरुस्त और रफ एंड टफ होता है। शायद वहां स्वाभाविकता को ज्यादा तवज्जो दी जाती है।
6. साउथ इंडस्ट्री की लगभग हर तीसरी फिल्म एक जैसी होती है, जिसमे हीरो अपने हीरोइन को गुंडों से बचाने के लिए भयंकर संघर्ष करता है, या फिर लड़की के मां-बाप का दिल जीतने की कोशिश करता है।
साल भर में अकेले टॉलीवुड, बॉलीवुड की तुलना में 4 गुना अधिक फ़िल्में बनाता है।
7. यदि आपको पुलिस की असली ताकत देखनी है, तो साउथ इंडियन फिल्मों में देखिए। ये बॉलीवुडिया सिंघम जैसी फिल्में साउथ की ही कॉपी है।
आजकल बॉलीवुड का मेन काम साउथ की मूवीज का रीमेक बनाना हो गया है।
8. साउथ में हीरो की रिटायरमेंट की एज कभी कम नहीं होती।
60 साल की उम्र के हीरो 20 साल की एक्ट्रेस के साथ रील रोमांस करते दिखाई दे सकते हैं।
9. सबसे अनूठी बात तो ये है कि बॉलीवुड में जहां हीरो हीरोइन के साथ फ्लर्ट करता है, वहीं साउथ में इसका जस्ट अपोजिट यानी लडकी ही हीरो से फ्लर्टिंग मारती है।
बड़े अफ़सोस की बात है की हकीकत में ऐसा कभी भी नहीं होता।
10. साउथ में हीरो की बस के बाहर कुछ भी नहीं है, बस उसे ताव में लाने की बात है।
एक बार माथा भनकते ही वह ‘वन मैन आर्मी’ बन कर पूरी की पूरी आर्मी तक को हरा सकता है।
11. दक्षिण भारतीय फिल्मों में आपको भारतीयता की छाप अवश्य देखने को मिलेगी। जहां बॉलीवुड कॉपी पेस्ट सिनेमा को रेनोवेट कर रहा है, वहीं साउथ अपने क्लास को अब भी बनाए हुए है।
भारतीय परम्पराओं और मूल्यों को साउथ ने अपने सिनेमा में खासी तवज्जो दी है।
मुम्बईया फिल्मों से ज्यादा कमाई करने वाली इन फिल्मों के दर्शक अपने सुपरस्टार्स को भगवान की तरह पूजते हैं। और तो और साउथ की फिल्मों और हिरोइनों के प्रशंसकों में शरद यादव जैसे उत्तर भारतीय सांसद भी शामिल हैं। इसका इजहार तो वे संसद में भी कर चुके हैं। बजट हो या एक्शन साउथ इंडस्ट्री बॉलीवुड से कहीं कम नहीं पड़ती। आज आपको बताते हैं उन 11 विशेषताओं के बारे में जो दक्षिण भारतीय फिल्मों को ख़ास बनाती हैं।
1. देश भर में बनने वाली कुल फिल्मों में 75% का योगदान रखनें वाली ‘साउथ’ फिल्म इंडस्ट्री के फैन्स अपने स्टार्स को भगवान की तरह पूजते हैं।
इन सितारों की लोकप्रियता का आलम ये है की ‘चुनावों’ में इनके सामने अच्छे-अच्छे पॉलिटिशियंस की व्हाट लग जाती है।
2. साउथ मूवीज अपने ऐसे एक्शन और स्टंट्स के लिए बेहद लोकप्रिय हैं, जो ब्रूस-ली के लिए भी असंभव हुआ करते हैं।
बगैर कुंफो-कराटे और मार्शल आर्ट्स के भारी-भरकम हीरो 20-20 फिट उछल कर फाइट करते देखे जा सकते हैं।
3. अवतार और जुरासिक वर्ल्ड के जमाने में बॉलीवुड फिक्शन और थ्रिलर सिनेमा रचने में फिसड्डी रहा है।
ठीक इसके उलट साउथ इंडस्ट्री दमदार टेक्नोलॉजी के सही इस्तेमाल के साथ ‘बाहुबली’ और ‘आई’ जैसी महान फिक्शीयस फ़िल्में लगातार बनाता रहा है।
4. साउथ की एक्ट्रेस इतनी भारी-भरकम क्यों होती हैं? ये प्रश्न कमोबेश हर किसी के मन में एक न एक बार अवश्य उठता है।
मतलब समझ से परे है की एक ओर जहां बॉलीवुड में लीड एक्ट्रेस से जीरो फिगर की डिमांड है, वहीं साउथ में पतली-दुबली एक्ट्रेस के लिए फिल्मों में आने के लिए वजन बढ़ाना जरूरी है।
5. इमरान खान और वरुण धवन जैसे चॉकलेटी लुक के हीरो आपको साउथ मूवीज में शायद न के बराबर मिलें।
साउथ इंडस्ट्री में ज्यादातर हीरो टू मच तंदुरुस्त और रफ एंड टफ होता है। शायद वहां स्वाभाविकता को ज्यादा तवज्जो दी जाती है।
6. साउथ इंडस्ट्री की लगभग हर तीसरी फिल्म एक जैसी होती है, जिसमे हीरो अपने हीरोइन को गुंडों से बचाने के लिए भयंकर संघर्ष करता है, या फिर लड़की के मां-बाप का दिल जीतने की कोशिश करता है।
साल भर में अकेले टॉलीवुड, बॉलीवुड की तुलना में 4 गुना अधिक फ़िल्में बनाता है।
7. यदि आपको पुलिस की असली ताकत देखनी है, तो साउथ इंडियन फिल्मों में देखिए। ये बॉलीवुडिया सिंघम जैसी फिल्में साउथ की ही कॉपी है।
आजकल बॉलीवुड का मेन काम साउथ की मूवीज का रीमेक बनाना हो गया है।
8. साउथ में हीरो की रिटायरमेंट की एज कभी कम नहीं होती।
60 साल की उम्र के हीरो 20 साल की एक्ट्रेस के साथ रील रोमांस करते दिखाई दे सकते हैं।
9. सबसे अनूठी बात तो ये है कि बॉलीवुड में जहां हीरो हीरोइन के साथ फ्लर्ट करता है, वहीं साउथ में इसका जस्ट अपोजिट यानी लडकी ही हीरो से फ्लर्टिंग मारती है।
बड़े अफ़सोस की बात है की हकीकत में ऐसा कभी भी नहीं होता।
10. साउथ में हीरो की बस के बाहर कुछ भी नहीं है, बस उसे ताव में लाने की बात है।
एक बार माथा भनकते ही वह ‘वन मैन आर्मी’ बन कर पूरी की पूरी आर्मी तक को हरा सकता है।
11. दक्षिण भारतीय फिल्मों में आपको भारतीयता की छाप अवश्य देखने को मिलेगी। जहां बॉलीवुड कॉपी पेस्ट सिनेमा को रेनोवेट कर रहा है, वहीं साउथ अपने क्लास को अब भी बनाए हुए है।
भारतीय परम्पराओं और मूल्यों को साउथ ने अपने सिनेमा में खासी तवज्जो दी है।