04-26-2015, 09:50 PM
2015 nepal earthquake APR
2015 नेपाल भूकम्प क्षणिक परिमाण परिमाप पर 7.8 या 8.1 तीव्रता का भूकम्प था जो 25 अप्रैल 2015 सुबह 11:56 स्थानीय समय में घटित हुआ। भूकम्प का अधिकेन्द्र लामजुंग, नेपाल से ३४ कि.मी. दूर था। भूकम्प के अधिकेन्द्र की गहराई लगभग ९ कि.मी. नीचे थी। बचाव और राहत कार्य जारी हैं। भूकंप में कई महत्वपूर्ण प्राचीन ऐतिहासिक मंदिर व अन्य इमारतों को भी नष्ट हुईं। १९३४ के बाद पहली बार नेपाल में इतना प्रचंड तीव्रता वाला भूकम्प आया है जिससे २२०० से अधिक मौते हुई हैं और 1700 से अधिक घायल हैं।[2] भूकंप के झटके चीन, भारत, बांग्लादेश और पाकिस्तान में भी महसूस किये गये। नेपाल के साथ-साथ चीन, भारत और बांग्लादेश में भी कुल 45 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है।[3] भूकम्प की वजह से एवरेस्ट पर्वत पर एवलान्च आ गया जिससे १७ पर्वतारोहियों के मारे जाने की खबर है। काठमांडू घाटी में यूनेस्को विश्व धरोहर समेत कई प्राचीन एतिहासिक इमारतों को नुकसान पहुचाँ है।
भूकम्प के बाद के झटके अभी भी (२६ अप्रैल २०१५) तक भारत और नेपाल में महसूस किये जा रहे हैं।
नेपाल का भूभाग धरती के अंदर हिन्द-ऑस्ट्रेलियाई प्लेट के यूरेशियाई प्लेट से टकराने की जगह जिससे हिमालय पर्वत का निर्माण हुआ के दक्षिणी सीमा पर स्थित है।[4] यहाँ धरती के अंदर टेक्टोनिक प्लेटों के विस्थापन की गति लगभग १.८ इंच प्रति वर्ष है। भूकंप के परिमाप, स्थिति व परिस्थितियों से पता चलता है कि भूकंप का कारण मुख्य प्लेट के खिसकने की वजह से हुई।[1] भूकंप की तीव्रता इसलिये भी बढ गयी क्यूंकि इसका उद्गम काठमांडू के पास था जो कि काठमांडू बेसिन पर स्थित है जहाँ भारी मात्रा में अवसादी शैल स्थित है।[5]
भूकम्प की शुरुवात[संपादित करें]
इस भूकम्प का उद्गम स्थल लामजुंग नेपाल से लगभग ३४ कि.मी. दक्षिण-पूर्व में धरती के अंदर लगभग ९ कि.मीं की गहराई में था। चीनी भूकम्प नेटवर्क केंद्र द्वारा इसकी शुरुवाती तीव्रता ८.१ तक मापी गयी। संयुक्त राज्य भूगर्भ सर्वेक्षण द्वारा इसकी तीव्रता ७.५ फिर ७.९ तक मापी गयी। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार नेपाल के काठमांडू से ८० कि.मी. दूर दो प्रचंड तीव्रता वाले भूकम्प के झटके महसूस किये गये, पहला ७.९Mw और दूसरा ६.६Mw के परिमाप का था। भूकम्प के अधिकेंद्र से सबसे नज़दीकी शहर ३५ किलोमीटर दूर भरतपुर, नेपाल था। २ तीव्र झटकों के बाद लगभग ३५ से ज्यादा कम तीव्रता वाले झटके (आफ्टर शॉक) ४.५Mw आते रहे। एवरेस्ट पर्वत पर सैकणों पर्वतारोही चढाई कर रहे थे जब भूकम्प आया। इसकी वजह से बर्फ की विशाल परतें खिसकने लगी (एवलान्च) जिसमें १७ से ज्यादा पर्वतारोहियों के मारे जाने की खबर है।[6]नेपाली अधिकारियों के अनुसार बर्फ की विशाल चट्टानें नीचे की तरफ तेजी से गिरती रहीं जिसकी वजह से एवेऱेस्ट का बेस कैंप तबाह हो गया और ३७ से ज्यादा लोग घायल हो गये।[7]
तीव्रता[संपादित करें]
संयुक्त राज्य भूगर्भ सर्वेक्षण के जालपृष्ठ (वेबसाइट) के क्या आपने महसूस किया (डिड यू फील इट) खंड पर मिली प्रतिक्रियाओं के अनुसार काठमांडू में भूकम्प की तीव्रता ९ (प्रचंड) तक थी।[1] भूकम्प के झतके पडोसी देश भारत के विभिन्न राज्यों जैसे की बिहार, उत्तर प्रदेश, असम, पश्चिम बंगाल, सिक्किम, उत्तराखंड, उडीसा, आँध्र प्रदेश, कर्नाटक व गुजरात तक महसूस किये गये।[8] इसका असर भारत की राजधानी दिल्ली व राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में भी महसूस किये गये।[9] दीवारों मे छोटी मोटी दरारें उडीसा व केरल के कोच्ची तक पायी गईं। पटना में तीव्रता ५ (मध्यम) थी। [10]क्या आपने महसूस किया पर मिले जवाबों के अनुसार ढाका, बांग्लादेश में तीव्रता ४ (हल्की) थी।[1] भूकम्प के झटके अधिकेंद्र से १९०० कि.मीं दूर तिब्बत और चेंगडू चीन में भी महसूस किये गये।[11] पाकिस्तान और भूटान से भी कम तीव्रता वाले झटकों के महसूस किये जाने की खबरें थी।[12] [1]
जनहानि[संपादित करें]
2015 नेपाल भूकम्प क्षणिक परिमाण परिमाप पर 7.8 या 8.1 तीव्रता का भूकम्प था जो 25 अप्रैल 2015 सुबह 11:56 स्थानीय समय में घटित हुआ। भूकम्प का अधिकेन्द्र लामजुंग, नेपाल से ३४ कि.मी. दूर था। भूकम्प के अधिकेन्द्र की गहराई लगभग ९ कि.मी. नीचे थी। बचाव और राहत कार्य जारी हैं। भूकंप में कई महत्वपूर्ण प्राचीन ऐतिहासिक मंदिर व अन्य इमारतों को भी नष्ट हुईं। १९३४ के बाद पहली बार नेपाल में इतना प्रचंड तीव्रता वाला भूकम्प आया है जिससे २२०० से अधिक मौते हुई हैं और 1700 से अधिक घायल हैं।[2] भूकंप के झटके चीन, भारत, बांग्लादेश और पाकिस्तान में भी महसूस किये गये। नेपाल के साथ-साथ चीन, भारत और बांग्लादेश में भी कुल 45 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है।[3] भूकम्प की वजह से एवरेस्ट पर्वत पर एवलान्च आ गया जिससे १७ पर्वतारोहियों के मारे जाने की खबर है। काठमांडू घाटी में यूनेस्को विश्व धरोहर समेत कई प्राचीन एतिहासिक इमारतों को नुकसान पहुचाँ है।
भूकम्प के बाद के झटके अभी भी (२६ अप्रैल २०१५) तक भारत और नेपाल में महसूस किये जा रहे हैं।
नेपाल का भूभाग धरती के अंदर हिन्द-ऑस्ट्रेलियाई प्लेट के यूरेशियाई प्लेट से टकराने की जगह जिससे हिमालय पर्वत का निर्माण हुआ के दक्षिणी सीमा पर स्थित है।[4] यहाँ धरती के अंदर टेक्टोनिक प्लेटों के विस्थापन की गति लगभग १.८ इंच प्रति वर्ष है। भूकंप के परिमाप, स्थिति व परिस्थितियों से पता चलता है कि भूकंप का कारण मुख्य प्लेट के खिसकने की वजह से हुई।[1] भूकंप की तीव्रता इसलिये भी बढ गयी क्यूंकि इसका उद्गम काठमांडू के पास था जो कि काठमांडू बेसिन पर स्थित है जहाँ भारी मात्रा में अवसादी शैल स्थित है।[5]
भूकम्प की शुरुवात[संपादित करें]
इस भूकम्प का उद्गम स्थल लामजुंग नेपाल से लगभग ३४ कि.मी. दक्षिण-पूर्व में धरती के अंदर लगभग ९ कि.मीं की गहराई में था। चीनी भूकम्प नेटवर्क केंद्र द्वारा इसकी शुरुवाती तीव्रता ८.१ तक मापी गयी। संयुक्त राज्य भूगर्भ सर्वेक्षण द्वारा इसकी तीव्रता ७.५ फिर ७.९ तक मापी गयी। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार नेपाल के काठमांडू से ८० कि.मी. दूर दो प्रचंड तीव्रता वाले भूकम्प के झटके महसूस किये गये, पहला ७.९Mw और दूसरा ६.६Mw के परिमाप का था। भूकम्प के अधिकेंद्र से सबसे नज़दीकी शहर ३५ किलोमीटर दूर भरतपुर, नेपाल था। २ तीव्र झटकों के बाद लगभग ३५ से ज्यादा कम तीव्रता वाले झटके (आफ्टर शॉक) ४.५Mw आते रहे। एवरेस्ट पर्वत पर सैकणों पर्वतारोही चढाई कर रहे थे जब भूकम्प आया। इसकी वजह से बर्फ की विशाल परतें खिसकने लगी (एवलान्च) जिसमें १७ से ज्यादा पर्वतारोहियों के मारे जाने की खबर है।[6]नेपाली अधिकारियों के अनुसार बर्फ की विशाल चट्टानें नीचे की तरफ तेजी से गिरती रहीं जिसकी वजह से एवेऱेस्ट का बेस कैंप तबाह हो गया और ३७ से ज्यादा लोग घायल हो गये।[7]
तीव्रता[संपादित करें]
संयुक्त राज्य भूगर्भ सर्वेक्षण के जालपृष्ठ (वेबसाइट) के क्या आपने महसूस किया (डिड यू फील इट) खंड पर मिली प्रतिक्रियाओं के अनुसार काठमांडू में भूकम्प की तीव्रता ९ (प्रचंड) तक थी।[1] भूकम्प के झतके पडोसी देश भारत के विभिन्न राज्यों जैसे की बिहार, उत्तर प्रदेश, असम, पश्चिम बंगाल, सिक्किम, उत्तराखंड, उडीसा, आँध्र प्रदेश, कर्नाटक व गुजरात तक महसूस किये गये।[8] इसका असर भारत की राजधानी दिल्ली व राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में भी महसूस किये गये।[9] दीवारों मे छोटी मोटी दरारें उडीसा व केरल के कोच्ची तक पायी गईं। पटना में तीव्रता ५ (मध्यम) थी। [10]क्या आपने महसूस किया पर मिले जवाबों के अनुसार ढाका, बांग्लादेश में तीव्रता ४ (हल्की) थी।[1] भूकम्प के झटके अधिकेंद्र से १९०० कि.मीं दूर तिब्बत और चेंगडू चीन में भी महसूस किये गये।[11] पाकिस्तान और भूटान से भी कम तीव्रता वाले झटकों के महसूस किये जाने की खबरें थी।[12] [1]
जनहानि[संपादित करें]